[2023] मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? मकर संक्रांति की बधाई इमेज़।

मकर संक्रांति भारत का एक ऐसा त्यौहार है जो बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति सब लोग एकजुट होकर बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन सभी लोग स्नान करते हैं और सूर्य को नमन करते हैं।

आइए जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति मनाई क्यों जाती है? इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है?

2023 में मकर संक्रान्ति कब हैं?

इस बार मकर संक्रांति को लेकर लोग असमंजस में है। लोग यह जानना चाहते हैं कि मकर संक्रांति 14 तारीख को है या 15 तारीख को है।

हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2023 को सूर्य मकर राशि में रात 8:14 बजे पर प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही मकर संक्रांति मनाया जाता है।

जबकि यह सूर्य का त्यौहार है इसलिए इसे रात्रि में नहीं बनाया जा सकता है। फल स्वरूप कुछ लोग 15 तारीख को मकर संक्रांति शुभ तारीख मान रहे हैं।

पंचांग के मुताबिक शुभ मुहूर्त 15 तारीख को सुबह 7:15 बजे से 5:46 बजे तक रहेगा।

मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 7:15 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस समय के बीच दान धर्म करना शुभ माना जा रहा है।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?

मकर संक्रांति भारत का एक धार्मिक त्यौहार है, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि (Sagittarius) से निकलकर अपने पुत्र शनि देव की राशि, मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करतें है। इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस प्रकार इसका नाम मकर संक्रांति पड़ा। इस दिन लोग सूर्य का सम्मान करते हैं।

मकर संक्रांति के दिन लोग स्नान करने के बाद सूर्य को नमन करते हैं। और दान-पूण्य के कार्य करते हैं। इस त्यौहार का महत्व भारत के धर्म, संस्कृति और इतिहास में बहुत अधिक है।

मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?

मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसी दिन बाणों पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने अपना शरीर त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति की।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि (Sagittarius) से निकलकर अपने पुत्र शनि देव की मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करतें है।

इस दिन को पिता और पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने के लिए याद किया जाता है। हमारे पुराणों के अनुसार शनि देव को सूर्य देव का पुत्र बताया गया है।

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए?

अनियमित शेड्यूल के कारण कुछ लोग सुबह बहुत देर से उठते हैं। जिससे ब्रह्मांड में हो रही ग्रहों की फेरबदल से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा का लाभ नहीं उठा पाते हैं।

  • मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर सूर्य को नमन करना चाहिए।
  • उसके बाद चाय या स्नैक्स इत्यादि खाना चाहिए।
  • मकर संक्रांति के दिन सुबह की ताजी तुमको अपने शरीर पर पड़ने दें। यह हमारी स्किन के लिए उपयोगी होती है।
  • अगर आप चाहे तो बच्चों के साथ सावधानीपूर्वक पतंग उड़ाने का आनंद ले सकते हैं।

मकर संक्रांति के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

अधिकतर लोग सुबह उठते हैं चाय और नाश्ते पर टूट पड़ते हैं। लोग सोचते हैं कि बाद में स्नान करके सूर्यदेव को नमन कर लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए।

  • मकर संक्रांति के दिन बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
  • मकर संक्रांति के दिन मांसाहारी खाना नहीं खाना चाहिए। इस दिन नशा वाले चीजों को सेवन करने से बचें।
  • मकर संक्रांति एक सादगी का त्यौहार है। इसलिए कुछ लोग इस दिन खिचड़ी बना कर खाते हैं।
  • इस दिन अपनी वाणी पर संयम रखें तथा क्रोध ना करें। सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करें।

मकर संक्रांति पर 10 लाइन बताएं।

  1. “मकर संक्रांति का त्यौहार महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और हम सभी इसे धूमधाम से मनाते हैं।”
  2. “मकर संक्रांति में, हम सभी सूर्य को सम्मान देते हैं और उनका नमन करते हैं।”
  3. “मकर संक्रांति में, हम सभी दान दक्षिणा देते हैं।”
  4. “मकर संक्रांति में, हम सभी अपने बच्चों को धर्म और संस्कृति के महत्व को समझते हैं।”
  5. “मकर संक्रांति में, हम सभी अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशी और आनंद साझा करते हैं।”
  6. “मकर संक्रांति में, हम सभी अपने धर्म, संस्कृति और इतिहास को याद करते हैं।”
  7. “मकर संक्रांति ग्रहों के फेरबदल के कारण मनाया जाता है।”
  8. “मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।” इसे एक शुभ घड़ी माना जाता है।
  9. “मकर संक्रांति के दिन लोग सादगी से जीवन जीते हैं।”
  10. “मकर संक्रांति के दिन लोग हल्का तथा सादा भोजन का आनंद लेते हैं।”

आपने क्या सीखा

आज आपने मकर संक्रांति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त किया है। आपने यह सीखा कि मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?

अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट में अवश्य पूछें।

Introvert की जीवनशैली: जो एकांत में रहना पसंद करते है ?

कुछ लोग अकेले रहना पसंद करते हैं और सामाजिक परिस्थितियों में सहज महसूस नहीं करते हैं। उन्हें Introvert कहा जाता है।

हो सकते हैं आपने Introvert शब्द कई बार सुना होगा। लेकिन आप इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। इसलिए आज हम Introvert के बारे में कुछ अनसुने जानकारी प्राप्त करेंगे।

हेलो दोस्तों, कभी-कभी समाज में कुछ लोग Introvert के बारे में अक्सर गलत धारणा बना लेते हैं। लेकिन इसका वास्तविकता से कुछ भी लेना देना नहीं है।

आपने Introvert शब्द को कहीं ना कहीं सुना होगा। इसे सुनकर आपके मन में सवाल आता है कि आखिर ये Introvert मतलब क्या होता है।

आज हम Introvert के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। इसे पढ़ने के बाद आपके सामने Introvert से संबंधित कोई भी सवाल नहीं आएगा।

Introvert क्या होता है?

Introvert यह किसी भी मनुष्य का व्यक्तित्व हो सकता है। Introvert शब्द का मतलब शांत, शर्मिला और एकाग्र होता है। Introvert व्यक्ति ज्यादातर समय एकांत में बिताने का इच्छुक होता है।

Introvert को हिन्दी में अंतर्मुखी कहा जाता है। अंतर्मुखी व्यक्ति सामाजिक नहीं होता है। यह व्यक्ति शांत स्वभाव वाला होता है।

Introvert या अंतर्मुखी शब्द का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो अंदरूनी खुशी (Internal Happiness) को ज्यादा मान्यता देता है। अर्थात इसे खुश रहने के लिए सामाजिक परिस्थितियों के प्रति अधिक गंभीर नहीं होता है। यह आंतरिक विचारों, भावनाओं और मनोदशाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

अंतर्मुखी ( Introvert ) व्यक्ति किसी अनजान व्यक्ति से बहुत कम बोलता है। लेकिन जब कोई उसके जैसा अंतर्मुखी व्यवहार वाला व्यक्ति मिलता है तो वह उससे खुलकर बातचीत करता है।

यह देखा गया है कि इंट्रोवर्ट लोग एक दूसरे से काफी खुलकर बातचीत करते हैं।

Introvert लोग कैसे होते हैं?

Introvert वे लोग होते हैं जो सुर्खियों में रहना पसंद नहीं करते हैं। अंतर्मुखी ( Introvert ) वह व्यक्ति होता है जो अकेले रहना पसंद करता है और अपने काम पर कड़ी मेहनत करता है।

जहां कुछ लोग शर्मीले होते हैं, वहीं अन्य लोग दूसरों के साथ अधिक मिलनसार, बातूनी और खुले विचारों वाले होते हैं। अंतर्मुखी लोग शांत जगहों को ज्यादा पसंद करते हैं जहां वे अन्य लोगों द्वारा परेशान किए बिना अपनी गति से काम कर सकते हैं।

अंतर्मुखी होना कोई बुरी बात नहीं है। यह केवल एक शब्द है जिसका उपयोग हम उन लोगों का वर्णन करने के लिए करते हैं जो अकेले रहना पसंद करते हैं। या जो अकेले काम करना तथा व्यावहारिक जीवन जीना पसंद करते हैं।

अंतर्मुखी लोगों को अपने जीवन के अधिकांश भाग के लिए लोगों के साथ रिश्ते में रहने की आवश्यकता होती है। उन्हें अजनबियों के साथ मेलजोल करना मुश्किल लगता है। पार्टियों और समारोहों में उनकी बहुत कम दिलचस्पी हो सकती है।

Introvert लोग क्या सोचते हैं?

अंतर्मुखी ( Introvert ) लोगों को लगता है कि उनका आत्म-मूल्य पर्याप्त नहीं है और वे अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं।

अंतर्मुखी (Introvert) वे लोग होते हैं जो बाकी लोगों की तुलना में शांत होते हैं। वे उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना पसंद करते हैं जो उन्हें दिलचस्प और सार्थक लगती हैं। वे भीड़ में रहना पसंद नहीं करते हैं और इसलिए वे थोड़े से शर्मीले हो सकते हैं।

अंतर्मुखी वे लोग होते हैं जो अकेले रहना पसंद करते हैं। वे अपने समय का उपयोग रिचार्ज करने, आराम करने और पढ़ने के लिए करते हैं। उन्हें लोगों के समूह में खुद को व्यक्त करना मुश्किल लगता है और वे अन्य लोगों के साथ बातचीत करना नहीं पसंद करते हैं।

Introvert यह अपने कामों के लिए दूसरों के तारीफ पर निर्भर नहीं करते हैं। वे आत्मनिरीक्षण करने वाले हो सकते हैं। इन्हें जो सही लगता है वही करते हैं। अक्सर देखा गया है कि इंट्रोवर्ट लोग सही और गलत में फर्क समझने में सफल व्यक्ति माने जाते हैं।

अंतर्मुखी लोग एकांत में समय बिताना पसंद करते हैं और जब वे सार्वजनिक रूप से बात करते हैं तो वे असहज महसूस कर सकते हैं।

Introvert कैसे रहना पसंद करते हैं?

Introvert अक्सर अपना ज्यादातर समय एकांत जगह पर अकेले बिताते हैं। अंतर्मुखी ( Introvert ) को “शांत” कहा जाता है क्योंकि वे ऐसा जीवन चुनते हैं जहां वे अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अन्य लोगों की गतिविधियों से विचलित न हों।

उनमें शर्मीलेपन की प्रवृत्ति भी हो सकती है और वे ज्यादा बहस नहीं करते हैं। खासकर जब वे घबराए हुए या चिंतित हों।

अंतर्मुखी अक्सर अपने आप में आत्मविश्वास की कमी के कारण आत्मसम्मान की परवाह नहीं करते हैं परन्तु जब किसी चीज की हद पार हो जाती है तो यह बहुत ही आक्रामक हो जाते हैं। ये किसी चीज की प्लानिंग में बहुत ही निपुण होते हैं।

यदि आप अंतर्मुखी हैं, तो हो सकता है कि आप सामाजिक परिस्थितियों में सहज न हों। शायद, आप थोड़े शर्मीले हैं और अपने विचारों के साथ अकेले रहना पसंद करते हैं।

अंतर्मुखी लोगों में अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखने और अपनी भावनाओं को खुलकर नहीं दिखाने की प्रवृत्ति होती है।

अंतर्मुखी होना कोई बुरी बात नहीं है। अंतर्मुखी बहुत रचनात्मक और उत्पादक लोग होते हैं। हालाँकि, इसके कारण उन्हें मित्र बनाने और अन्य लोगों के साथ तालमेल बिठाने में परेशानी हो सकती है।

Introvert ( अंतर्मुखी ) को अक्सर शर्मीला या शांत बताया जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके पास कोई सामाजिक कौशल नहीं है।

Introvert कितने प्रकार होते हैं

हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से Introvert होता है। चलिए देखते हैं कि आप किस तरह के Introvert है?

आप में से कुछ लोग सोचते हैं कि Introvert सिर्फ घर पर अकेले रहना पसंद करते हैं। वे सामाजिक नहीं होते हैं। लेकिन नहीं Introvert के बहुत प्रकार होते हैं।

इनमें से कुछ नीचे बताया गया है:

सामाजिक अंतर्मुखी (Social Introvert):

इस प्रकार के अंतर्मुखी (Introvert) छोटे समूह में रहना पसंद करते हैं। ये बड़े लोगों की ग्रुप के साथ नहीं रहते हैं। यह शांत माहौल में रहना पसंद करते हैं। इन्हें शोर गुल में रहना पसंद नहीं होता है।

अंतर्मुखी सोच ( Thinking Introvert):

इस वर्ग वाले Introvert अपना अधिकतर समय सोचने विचारने में लगाते हैं। इस तरह के अधिकतर लोग शोधकर्ता तथा रचनात्मक होते हैं।

चिंतीत अंतर्मुखी ( Anxious Introvert ):

चिंतीत अंतर्मुखी ( Anxious Introvert ) अक्सर लोगों से बातचीत करने में घबराते हैं। जब कुछ साधारण लोग इनसे बात चीत करने आते हैं तो ये घबराने लगते हैं। इनको पता होता है कि वे लोग इनके साथ कुछ ग़लत व्यवहार नहीं करेंगे।

संकोची अंतर्मुखी (Inhibited Introvert):

जैसे की नाम से पता चलता है कि संकोची Introvert हर काम को करने में संकोच करते रहते हैं।

ये किसी भी काम को करने से पहले बहुत सोच विचार करते हैं। उसके बाद अपना अंतिम निर्णय लेते हैं।

ऐसा नहीं है कि सभी अंतर्मुखी (Introvert) सामाजिक नहीं होते हैं। बहुत लोगों को देखा गया है कि वे ज्यादा बात चीत नहीं करते हैं। परन्तु सामाज के साथ ही रहना पसंद करते हैं।

Introvert (अंतर्मुखी) और शर्मीलापन में क्या अंतर होता है?

कुछ लोगों का मानना है कि हर शर्मिला व्यक्ति इंट्रोवर्ट ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हर शर्मिला व्यक्ति Introvert ही होता है।

शर्मीलापन लोगों या फिर सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। वहीं दूसरी ओर, Introvert लोग अन्य लोगों के साथ बातचीत करने में ज्यादा समय नहीं बिताना पसंद करते हैं।

अंतर्मुखी उन लोगों को संदर्भित करता है जो मुख्य रूप से अपने स्वयं के विचारों और भावनाओं में रुचि रखते हैं, जबकि शर्मीलापन उन लोगों को संदर्भित करता हैं जो मुख्य रूप से दूसरों की राय में रुचि रखते हैं।

Introvert और अवसाद (Depression) में क्या विभिन्नताएं होती हैं?

यदि आप सामाजिक स्थितियों या गतिविधियों के कारण उदास, चिंतित, अकेलापन इत्यादि महसूस कर रहें हैं तो यह अवसाद ( Depression ) के संकेत हो सकत हैं। चाहे आपका व्यक्तित्व कैसा भी हो।

अंतर्मुखी और अवसाद दो अलग-अलग चीजें हैं। पहला है व्यक्ति का व्यक्तित्व, दूसरा है उनकी मनःस्थिति।

इस लेख में हम चर्चा करते हैं कि अंतर्मुखी और अवसाद क्या हैं?

अंतर्मुखी व्यक्तित्व का प्रकार है जो अंतर्मुखता की विशेषता है। अंतर्मुखी वह होता है जो अकेले कम समय और लोगों के साथ अधिक समय बिताना पसंद करता है।

Frontiers के मुताबिक ज्यादा Introvert अवसाद या Dipression का कारण बन सकता है। अगर आप अकेलापन, उदास तथा चिंतित हैं तो डाक्टर या फिर घर वाले को इसके बारे में जानकारी दें।

अंतर्मुखी (Introvert) के बारे में क्या भ्रांतियां हैं?

समाज में Introvert लोगों के बारे में एक आम भ्रांति यह है कि वे शर्मीले होते हैं। कुछ अंतर्मुखी (Introvert) शर्मीले हो सकते हैं, लेकिन सभी अंतर्मुखी ( Introvert ) लोगों के लिए ऐसा नहीं है।

इस तरह के अन्य मिथक प्रदर्शित किया गया है:

अंतर्मुखी ( Introvert) दोस्ताना व्यवहार वाले नहीं होते हैं।

अंतर्मुखी (Introvert) होने से यह प्रभावित नहीं होता कि आप कितने मिलनसार हैं। कुछ लोग सोच सकते हैं कि अंतर्मुखी लोग मित्रताहीन होते हैं क्योंकि उनके पास ज्यादा दोस्त नहीं होते हैं। वे सभाओं में बातचीत में शामिल होने के बजाय चुपचाप सोच में पड़े रहते हैं।

Introvert लीडर (Leader) नहीं हो सकते।

यद्यपि लोग एक बहिर्मुखी (Extrovert) व्यक्तित्व के बारे में सोचते हैं जब वे एक नेता की कल्पना करते हैं। बल्कि अंतर्मुखी लोगों के पास मालिक और लीडर होने का कौशल भी होता है।

उनके कुछ गुण उन्हें प्रभावी नेता बनाते हैं: वे अपने कर्मचारियों के विचारों को सुनते हैं, वे दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

अंतर्मुखी को समझना कठिन होता है।

Introvert छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं।

ये केवल कुछ मुट्ठी भर लोगों के साथ ही गहरी दोस्ती करना पसंद करते हैं। लेकिन जिन लोगों के वे करीबी हैं वे उन्हें बहुत अच्छी तरह से जानते हैं और उनके साथ वास्तविक मित्रता विकसित करते हैं।

निष्कर्ष ( Conclusion )

अगर किसी व्यक्ति में अंतर्मुखी (Introvert) तथा बहिर्मुखी (Extrovert) दोनों के गुण पाए जाते हैं, तो उन्हें उभयवर्ती (Ambivert) कहा जाता है।

एक प्रसिद्ध स्टडी के मुताबिक दुनिया में लगभग 70 % लोग उभयवर्ती (Ambivert) होते हैं।

एंबीवर्ट्स दूसरों के साथ समय बिताने और अकेले समय बिताने दोनों का आनंद लेते हैं।

ये समय की स्थिति और उनकी जरूरतों के आधार पर अपने आप को उस परिस्थिति में आसानी से ढाल लेते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि अधिकांश भारतीय लोग उभयवर्ती (Ambivert) होते हैं।

क्योंकि भारत में अलग-अलग परंपरा को मानने वाले लोग रहते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति अपनी समाज तथा घर को छोड़कर किसी अन्य समाज तथा राज्य में जाता है। तो वह व्यक्ति काफी कम समय में अपने आप को उस परिस्थिति के अनुसार ढाल लेता है।

यह तय करते समय कि आप अंतर्मुखी, बहिर्मुखी या उभयलिंगी हैं, याद रखें कि एक प्रकार दूसरे से बेहतर नहीं है।

स्थिति के आधार पर प्रत्येक प्रवृत्ति के लाभ और कमियां हो सकती हैं। हालाँकि, अपने व्यक्तित्व को बेहतर ढंग से समझकर, आप सीख सकते हैं कि अपनी ताकत के अनुसार कैसे समाज में अपना योगदान दे सकते हैं।

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भारत के किस जंगल में आज भी आदिवासी रहते हैं?|आदिवासीयों की जनसंख्या कितनी है?

क्या आपको पता है आज के इस आधुनिक जमाने में भी भारत के कुछ इलाकों में आदिवासी रहते हैं। जहां पर आम नागरिकों को जाना बिल्कुल मना किया गया है।

क्योंकि ये आदिवासी लोग अनजान व्यक्ति को देखकर उसे अपने लिए खतरा महसूस करते हैं। इसलिए उन्हें मार देते हैं।

फल स्वरूप भारतीय सरकार द्वारा वहां पर जाना गैर कानूनी करार कर दिया गया है।

हेलो दोस्तों, आज हम आदिवासी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। भारत के किस इलाके में आज भी आदिवासी लोग रहते हैं।

आदिवासी किसे कहते हैं?

अगर कोई भी समुदाय अपना इतिहास, संस्कृति या भाषा की उत्पत्ति नहीं जानता है। उन्हें “आदिवासी” कहते हैं।

भारत में बहुत ही आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। लेकिन वे लोग अब धीरे-धीरे आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं।

जबकि भारत के अंडमान निकोबार द्वीप के क्षेत्र में एक सेंटिनल आईलैंड है। वहां पर ऐसे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं जो अभी तक आधुनिक मनुष्य के संपर्क में नहीं आए हैं।

आज हम इनके बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे।

भारत में आदिवासी कहां रहते हैं?

North Sentinel island

भारत का एक ऐसा आदिवासी समुदाय जो अभी तक आधुनिक दुनिया से बिल्कुल अलग है। यह भारत के अंडमान द्वीप के नार्थ सेंटिनल आइलैंड पर रहते हैं।

मुख्य भारत से बिल्कुल पूरब दिशा में समुद्रों के बीचो बीच अंडमान निकोबार का सेंटिनल आईलैंड है। जहां पर आज भी आदिवासी रहते हैं।

यह लोग बिलकुल पहले की आदिवासियों की तरह रहते हैं। यह जानवरों का शिकार करके अपना जीवन यापन करते हैं।

जब कोई इस टापू पर जाता है यह लोग उसे अपना दुश्मन समझ कर मार देते हैं। इसलिए भारत सरकार ने वहां पर लोगों को जाने से प्रतिबंध लगा दिया।

क्या सेंटिनल आईलैंड पर कोई जाने का प्रयास किया?

जी हां, सेंटिनल आईलैंड जहां पर आज भी आदिवासी रहते हैं। वहां पर कई बार जाने का प्रयास किया गया। हर बार किसी ना किसी वजह से वहां जाना नाकामी साबित हुआ।

एक बहुत ही प्रसिद्ध लेखक मार्कोपोलो अंडमानी लोगों के बारे में कहते हैं कि वह बहुत ही खतरनाक होते हैं। उनकी बातें बहुत ही पिछड़ होती है। उनकी आंखें लाल होती है। और यह जब भी अनजान आदमी को देखते हैं तो उन्हें मारने की कोशिश करते हैं। या तो पता नहीं चला कि वह किस आधार पर यह सब बातें लिख रहे हैं।

अंडमान निकोबार सेंटिनल आईलैंड पर जाने का पहला प्रयास

1980 में ब्रिटिश नेवी ऑफिसर मॉरिस पोर्टमैन कुछ सैन्य टुकड़ियों के साथ सेंटिनल आईलैंड पर पहुंचे। वहां से जबरजस्ती एक आदमी एक औरत और चार बच्चों को जबरदस्ती पकड़ कर लेकर आए।

लेकिन यह लोग बहुत डरे हुए थे। यह अच्छे से खाना नहीं खा पाते थे। इनकी तबीयत खराब होने लगी तब इन्हें कुछ समय बाद उसी सेंटिनल आईलैंड पर छोड़ दिया गया। जिसके कारण अब वे लोग बहुत ही चौकाने हो गए थे।

अंडमान निकोबार सेंटिनल आईलैंड पर जाने का दुसरा प्रयास

1896 में एक कैदी काला पानी जेल से भाग कर अनजाने में सेंटिनल आईलैंड पर पहुंच गया। छानबीन करने के बाद पता चला कि उसे आदिवासियों द्वारा मार दिया गया है।

उसे मारकर किनारे पर बांधकर टांग दिया गया था। जैसे की एक चेतावनी हो।

अंडमान निकोबार सेंटिनल आईलैंड पर जाने का तीसरा प्रयास

फिर लगभग 70 साल बाद 1967 में सरकारी खोजकर्ता आलोक नाथ पंडित उस द्वीप पर गए। इनकी मुलाकात आदिवासियों से हुई। वे लोग शायद बाढ़ से बचने के लिए कहीं ऊंची जगहों पर चले गए थे।

लेकिन वहां पर खरपतवार से बनी झोपड़ियां दिखाई दीं। कुछ तीर कमान भी दिखाई दिए। तीज के नुकीली सिरे पर धातु लगा हुआ था। इसके साथ साथ कुछ धातु के बर्तन भी दिखाई दिए। इससे पता चलता है कि वे लोग कुछ धातुओं की खोज कर चुके थे।

अंडमान निकोबार सेंटिनल आईलैंड पर जाने का चौथा प्रयास

1970 में एक बड़े से पत्थर पर यह लिख दिया गया कि यह टापू सिर्फ भारत से संबंधित है। जिससे कोई अन्य देश इसपर कब्जा ना करें।

कुछ दिनों बाद वहां पर खाना, सूअर, बर्तन, नारियल कुछ खिलौने इत्यादि ले जाया गया।

शुरुआती समय में आदिवासी डर गए थे। लेकिन धीरे-धीरे साहस जुटाकर वे इन सामानों की तरफ गए। यह लोग सूअर तथा पुतले को जमीन में गाड़ दिए।

बाकी के उपयोगी चीजों को अपने साथ ले गए। जिससे पता चलता है कि वे बासी मांस खाने के इच्छुक नहीं थे। और आदमियों को भी नहीं खाते थे।

अंडमान निकोबार सेंटिनल आईलैंड पर जाने का पांचवां प्रयास

मधुमला चट्टोपाध्याय और इनके कुछ सहयोगियों ने 1991 में आदिवासियों से मिली। उन्हें खाने के लिए कुछ केले ले गई। जिससे वे बहुत खुश हुए।

मधुमला चट्टोपाध्याय

लेकिन उसी दौरान अमेरिकी ईसाई धर्म के प्रचारक जॉन चाऊ वहां पर गए। यह लोग बिना भारत सरकार से बताएं, गैर कानूनी ढंग से सेंटिनल आईलैंड पर गए।

यह लोग आदिवासियों को कुछ गिफ्ट दिए। और गाना गाकर सुनाने लगे। इसे देखकर आदिवासी इंक्वारी जोर-जोर से हंसते थे। और इन का मजाक उड़ाते थे।

फिर जब भारत सरकार को उनके जाने की खबर मिली तब पता लगाने के लिए सेना का हेलीकॉप्टर भेजा।

इससे यह पता चला कि आदिवासी उन्हें भी मार कर समुद्र के किनारे लटका दिए थे।

उनके बॉडी को लेने का प्रयास किया गया। फिर कुछ लोगों ने सोचा कि इन्हें क्यों परेशान किया जाए। ऐसे ही छोड़ देते हैं।

उसके बाद से भारत सरकार उस टापू पर जाने से प्रतिबंध लगा दिया है। क्योंकि अगर वे लोग आम नागरिकों के संपर्क में आएंगे उन्हें अलग-अलग बीमारियां होंगी।इन बीमारियों के लिए उनके पास दवा नहीं होगा।

जिससे उनकी जनजातियां खतरे में पड़ सकती है। इसलिए अब सेंटिनल आईलैंड पर कोई भी व्यक्ति बिना भारत सरकार के अनुमति से नहीं जाता है।

नार्थ सेंटिनल आईलैंड पर जाने से हमें क्या जानकारी प्राप्त हुई?

काफी प्रयासों के बाद नार्थ सेंटिनल आइलैंड के बारे में बहुत सी अज्ञान जानकारियों के बारे में पता चला है जैसे कि

  1. सेंटिनल आइलैंड के आदिवासी मनुष्य को मारकर नहीं खाते हैं। सिर्फ खतरा महसूस होने पर ही उन्हें मारते हैं।
  2. सेंटिनल आइलैंड के आदिवासी गुफाओं में नहीं रहते हैं। वे लोग खरपतवार से झोपड़िया बनाना सीख चुके हैं।
  3. उनकी औसत ऊंचाई 5.6 फूट हो सकता है।
  4. वे लोग अभी तक खेती करना नहीं सीखे हैं। खाने के लिए शिकार करते हैं।
  5. उनकी भाषाएं भारत के सभी भाषाओं से भिन्न है।
  6. वे लोग नाव चलाना भी जानते हैं। लेकिन नाव चला कर टापू से ज्यादा दूरी तक नहीं जाते है।

भारत के आदिवासी लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी क्या है?

हम दुनिया के सातवें सबसे बड़े देश हैं। वैश्विक मानचित्र पर हमारी मजबूत उपस्थिति है। यह हमेशा हमारे इतिहास का हिस्सा रहा है और यही हमें विविधता से भरा देश बनाता है।

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हमारे पास भारत के हर कोने में और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार भी आदिवासी लोग रहते हैं।

उनमें से कोई भी अपना इतिहास, संस्कृति या भाषा नहीं जानता है। इसलिए उन्हें कुछ पुरातत्वविदों द्वारा स्वदेशी जनजातियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जबकि अन्य उन्हें “आदिवासी” कहते हैं।

अधिकांश आनुवंशिकीविद् सभी बसे हुए मानव आबादी को एक ऐसे व्यक्ति के वंशज मानते हैं जो 50,000 से अधिक वर्ष पहले अफ्रीका से बाहर चले गए थे।

जो बताता है कि हम दुनिया भर के समुदायों या क्षेत्रों के बीच कुछ आनुवंशिक अंतर क्यों देखते हैं; अंतर जो अफ्रीका से एशिया, यूरोप और अमेरिका के उन प्राचीन प्रवासों से जुड़े हैं।

यह विशेष रूप से यह समझाने पर केंद्रित है कि जनजातियां अन्य भारतीय समुदायों से कैसे भिन्न हैं और इसलिए व्यक्तियों के रूप में उनके लिए क्या चुनौती है। यह शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के मामले में आदिवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों को सूचीबद्ध करता है।

कुछ विशिष्ट भातीय आदिवादी जनजातियां कैसी हैं ?

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आदिवासी महाद्वीप में एक बड़ी और विशिष्ट आबादी है, जिनकी अपनी संस्कृति और भाषा है, हालांकि वे एक आम भाषा (मुख्य रूप से हिंदी) बोलते हैं। वे अधिकांश लोगों के साथ इतनी समानताएं साझा करते हैं कि उन्हें पूरी तरह से अलग करना असंभव है।

भारतीय अक्सर उन्हें उनके मूल के आधार पर “भारतमाता” या “द्रविड़” कहते हैं। जबकि उन्हें भारत जैसे कुछ देशों में आदिवासी के रूप में लेबल किया जाता है।

वे वास्तव में महा भारत नामक एक अन्य जनजाति से संबंधित हैं। ये जनजातियाँ भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग सभी हिस्सों को कवर करती हैं – पश्चिम से पूर्व तक और उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक।

1947 में विभाजन के बाद उत्तर भारत से सबसे बड़ा प्रवासन हुआ है, जब उन जनजातियों में से अधिकांश पश्चिम पाकिस्तान और बांग्लादेश में चले गए, जिससे अराकनी लोग बने।

भारत में अनेक प्रकार की जनजातियाँ पाई जाती हैं। हालांकि, उनमें से अधिकांश अभी भी प्रमुख शहरी केंद्रों से दूर दूरदराज के इलाकों में रहते हैं। वे पूरे देश में बिखरे हुए हैं और उनकी कोई उपस्थिति नहीं है।

इन भारतीयों को आदिवासी कहा जाता है क्योंकि वे मूल रूप से भारत नहीं आए थे।

लेकिन अंग्रेजों द्वारा ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था, जो उन्हें अनुबंधित दासता प्रणाली के तहत मजदूरों और कॉफी बागान श्रमिकों के रूप में इस्तेमाल करते थे। अंग्रेजों ने इन भारतीयों को श्रम के सस्ते स्रोत के रूप में तब तक इस्तेमाल किया जब तक कि उन्हें अंततः दुनिया के अन्य हिस्सों में “विस्थापित” नहीं किया गया।

इस विस्थापन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप देश भर में दूरदराज के इलाकों (जैसे मराठियों) में रहने वाली इन जनजातियों के बीच भाषा या संस्कृति में और बदलाव हुए हैं।

आधुनिक आदिवासी जनजाति के लोग किस क्षेत्र में पाए जाते हैं।

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आदिवासी जैसे कई भारतीय आदिवासी समूह किसी विशेष जातीय समूह या भाषा के साथ अपनी पहचान नहीं रखते हैं, लेकिन बोलते और करते हैं।

हाल के वर्षों में, भारत में आदिवासी लोगों और समुदायों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। वे मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पाए जाते हैं और उन्हें अक्सर उपेक्षित किया जाता है क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है।

भारतीय आदिवासियों को लंबे समय से एक ही समुदाय के अंतर्गत रखा गया है, जिसे ‘ब्राह्मण’ के नाम से जाना जाता है।

हालांकि, मणिपाल विश्वविद्यालय, ऑरोविले में स्थित एक गैर सरकारी संगठन, नेशनल ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनटीआरआई) द्वारा जारी एक वैज्ञानिक अध्ययन के बाद से, शोधकर्ताओं ने नोट किया है कि भारत के आदिवासी सभी ब्राह्मण नहीं हैं।

उनमें से कुछ किसी भी समुदाय से संबंधित नहीं हैं। वास्तव में, यह अनुमान लगाया गया है कि जापान या चीन की आबादी की तरह पूरे भारत में लगभग 10 करोड़ आदिवासी रह सकते हैं।

निष्कर्ष ( Conclusion )

ऐसे देखा जाए तो दुनिया काफी आगे निकल चुकी है। आज के समय लोग किसी एक स्थान पर रह कर दूर किसी दूसरे स्थान से बातचीत कर सकते हैं।

लेकिन आज भी आदिवासी लोग रहते हैं। जो पहले की जैसा है। जानवरों का शिकार करके अपना जीवन यापन करते थे। घास फूस से बने कपड़े पहनते हैं। और तीर धनुष से अपना शिकार करते हैं।

इससे पता चलता है कि दुनिया में आज भी कितने विषमताएं हैं।

अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट में अवश्य पूछें। आपको जरूर उत्तर दिया जाएगा।

ED के छापेमारी में पकड़ा गया करोड़ो रुपए आखिर जाता कहां है ?

हेलो दोस्तो, आज हम जानेंगे कि छापेमारी में पकड़ा गया करोड़ों रुपए कहां जाता है? इन पैसों को कौन रखता है?

इतना ज्यादा पैसे कहां रखा जाता है? इन अरबों रुपयों का देखभाल कौन करता है?

ऐसे ही उठ रहे सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमने सत्येन्द्र सिंह से बातचीत किया। जो ED में ऑफिसर रह चुके हैं। हमने सभी सवालों का जवाब पुछा। जो आपके साथ शेयर करेंगे।

सभी सवालों का जवाब जानने के लिए कृपया इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

सबसे पहले हम समझते हैं कि ED क्या है? जो किसी भी जगह पर छापा मारती है। जिससे हमें आगे की बातें समझने में आसानी होगी।

ED क्या है?

ED (Enforcement Directorate) को हिन्दी में प्रवर्तन निदेशालय कहा जाता है।

ED अर्थात प्रवर्तन निदेशालय एक कानून प्रवर्तन एजेंसी और आर्थिक खुफिया एजेंसी है जो भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराध से लड़ने का कार्य करती है।

यह वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का हिस्सा है।

यह एजेंसी देश में हो रही आर्थिक संबंधित अपराध को पकड़ने का कार्य करती है।

ED द्वारा पकड़े गए काला धन कहां जाता है?

किसी आम नागरिक से सवाल पूछे जाएं कि ED द्वारा पकड़े गए काला धन कहां जाता है? तो वह बताता है कि ED द्वारा पकड़ा गया काला धन सरकारी खाते में जाता होगा।

जी हां, यह बिल्कुल सही बात है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा पकड़ा गया काला धन सरकारी खाते में ही जाता है। बाद में इसका उपयोग सरकारी कार्यों में किया जाता है।

लेकिन यह प्रक्रिया इतना आसान भी नहीं होता है। इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए हमने ED के पूर्व अधिकारी सत्येंद्र सिंह से बात की। ये ED में पिछले 30 साल से अधिक समय से आफिसर रहे हैं।

सत्येंद्र सिंह ने बताया कि पैसों को जब्त करने के बाद ED इसे अपने ऑफिस में लेकर आती है।

उसके बाद इन पैसों को पूरी जानकारी के साथ फिक्स डिपाजट किया जाता है। जिससे कोई भी फेरबदल ना हो सके।

फिर इस मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई होती है। कोर्ट का फैसला आने पर उसका पालन किया जाता है।

कोर्ट का फैसला 2 तरीके से आ सकता है।

दोषी व्यक्ति गलत साबित हुआ तो क्या होगा?

यदि दोषी व्यक्ति गलत साबित हुआ तो उसको कानून के तहत सजा दिया जाता है।

जिसमें न्यायपालिका भारतीय संविधान के अनुसार दोषी को सजा सुनाती है।

फिर कानून व्यवस्था न्यायपालिका के आदेशों का अमल करती है।

अगर दोषी व्यक्ति गलत साबित नहीं हुआ तो क्या होगा?

अगर दोषी व्यक्ति गलत साबित नहीं हुआ तो न्यायपालिका उसके पूरे पैसे लौटा देती है।

किसी किसी केस में कुछ मुल्य राशि भी दिया जाता है।

जिससे कानून प्रक्रिया के दौरान दोषी व्यक्ति के हुए नुकसान को पूरा किया जा सके।

घर, मकान जैसी स्थिर संपत्ति का क्या किया जाता है?

घर, मकान बिल्डिंग जैसी स्थिर संपत्ति को ED सील कर देती है।

अचल संपत्तियों को सील करने से पहले मकान मालिक को नोटिस दिया जाता है।

उस नोटिस में मकान खाली करने की समय सीमा निर्धारित रहती है। जैसे ही समय की सीमा पार होती है, ED उस मकान को खाली करवाकर अपने अंडर में ले लेती है।

ईडी को हर कार्य कानून के दायरे में रहकर करना पड़ता है।

अगर संपत्ति किसी भी घोटाले में नहीं आती है तो उसे लौटा दिया जाता है।

ED का पूरा मामला क्या है?

Enforcement Directorate

मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में ED अब तक 220 से ज्यादा कंपनियों और लोगों के यहां छापेमारी कर चुका है. जांचकर्ताओं ने करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त की है और यहां तक कि एक भारतीय बैंक के सह-अध्यक्षों को भी गिरफ्तार किया है।

यह मामला अपने आप में सरकार को संभालने के लिए बहुत कुछ है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ईडी द्वारा आयकर अधिनियम की धारा के तहत छापेमारी में धन का सबसे बड़ा हिस्सा पकड़ा गया था।

ED कौन से कानून का उपयोग करके जांच प्रक्रिया आरंभ करतीं हैं?

घोटाला जैसे अपराध को रोकने के लिए 4 कानून है। इन्हीं कानूनों के तहत कार्रवाई होगी है।

लेकिन अधिकतर हम दो कानून का ज़िक्र हमेशा सुनते हैं।

  • प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA)
  • फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, 1999 (FEMA).

PMLA कानून के तहत ED को बहुत सफलता प्राप्त हुआ है। ED के वेबसाइट के मुताबिक PMLA कानून के तहत 17 सालों में 5422 केस दर्ज किए गए।

जिसमें अब तक एक लाख करोड़ तक की संपत्ति जब्त हो चुकी है।

यह धारा आयकर अधिकारियों को अपराधियों से संबंधित संपत्ति पर छापे मारने की अनुमति देती है यदि वे अवैध गतिविधियों में शामिल रहे हैं या यदि वे अपने व्यवसाय या व्यावसायिक मामलों के माध्यम से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में शामिल थे। जो कालाधन को बढ़ावा देते हैं।

इतना कहने के बाद यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि छापेमारी के दौरान जब्त की गई राशि की कभी भी वसूली नहीं की जा सकती है। इसे लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ता है।

संदर्भ: इन करोड़ों रुपये को ट्रैक करने में सक्षम होने के लिए, भले ही वे भौतिक रूप से उनके कब्जे में न हों, हमें कुशल, सटीक निरंतर साइबर विश्लेषण की आवश्यकता है जो सभी एन्क्रिप्शन कोड को तोड़ता है और उनका पता लगाने का लक्ष्य रखता है।

कैसे एक पूर्व राजनेता की संपत्ति पर ईडी का छापा मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला निकला।

ईडी जहां काले धन की जांच कर रही है, वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई) जैसी दूसरी एजेंसी भारत में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है।

सरकार के पास घोटाले का पैसा कितने तरीके से आता है?

Money Counting

सरकार के पास घोटाले का लगभग एक अरब डॉलर का संपत्ति है। सरकार के पास घोटाले का पैसा दो तरह से आता है। एक टैक्स के जरिए और दूसरा जुर्माने के जरिए।

1. कर (Tax)

जब आप अपने करों का भुगतान करते हैं, तो आप अपनी आय का एक हिस्सा उस देश को दे रहे हैं जिसमें आप रहते हैं। इसमें आयकर, बिक्री कर और संपत्ति कर आदि का भुगतान शामिल है।

सरकार दूसरों की तुलना में कुछ वस्तुओं पर अधिक कर लगाती है। उदाहरण के लिए, भोजन और कपड़ों जैसे अन्य सामानों की तुलना में सिगरेट पर प्रति पैक बहुत अधिक कर लगाया जाता है।

2. जुर्माना (Penalty)

सरकार के पास जाने के लिए घोटाले के पैसे का दूसरा तरीका अवैध कार्यों के लिए जुर्माना है। जैसे लाइसेंस नहीं लेना या राजमार्ग पर बहुत तेज गति करना। इसलिए जब कोई ऐसा काम करते पकड़ा जाए जो कानून के खिलाफ हो, तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

टैक्स चोरी करना तथा मनी लांड्रिंग करना किसी भी देश के विकास में बहुत बड़ा अड़चन उत्पन्न करता है।

क्योंकि कोई भी देश आम लोगों के टैक्स से ही चलता है। देश में हो रहे सभी कार्य टैक्स पेयर्स की वजह से ही होता है।

ऐसे में कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से टैक्स में कटौती करते हैं। जो देश के लिए अच्छा नहीं होता है।

कुछ लोग सिर्फ इसलिए टैक्स नहीं देना चाहते कि उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं होता है। क्या सरकार उनके टैक्स के पैसे से देश में विकास कार्य करेंगी या नहीं।

इस मुद्दे पर विभिन्न लोगों का अलग अलग मत है। आपका क्या राय है?

इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल है तो कमेंट में अवश्य पूछें। आपकी पूरी मदद की जाए।

दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग कौन सा है?

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दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग होता भी है या नहीं?

क्या कोई व्यक्ति ब्लॉग के माध्यम से महीने का करोड़ों रुपए कमा सकता है?

जी हां बिल्कुल!

आपको कोई भी गुमराह नहीं कर रहा है। सालों की मेहनत के बदौलत कुछ ब्लॉग वेबसाइट ने ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया है।

यह बिल्कुल सही है कि आज का जमाना वीडियो तथा ऑडियो का शौकीन है। आज के जमाने में लोग पढ़ने से दूर हट रहे हैं।

फिर भी महीने का करोड़ों रुपए कमाने वाला कोई एक नहीं, दो नहीं बल्कि बहुत सारे ब्लॉग हैं जो आज के समय में बड़ी बड़ी कंपनिया से भी अधिक पैसे कमाते हैं।

हेलो दोस्तों, आज मैं आपको दुनिया की सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाले ब्लॉग के बारे में बताऊंगा। इसके साथ-साथ इनके पैसे कमाने के तरकीब के बारे में भी बताऊंगा। जिसकी मदद से यह ब्लॉग बहुत अधिक पैसे कमाते हैं।

महीने का करोड़ों रुपए कमाने वाले यह ब्लॉग अकेले ही बहुत सी बड़ी कंपनियों को मात दे रही हैं।

हम इसके बारे में भी पता करेंगे कि यह ब्लॉग महीने का करोड़ों रुपए कैसे कमाते हैं।

दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग कौन से है?

वैसे तो दुनिया में बहुत सारे ब्लॉग हैं लेकिन उनमें से कुछ गिने-चुने ब्लॉग ही महीने के करोड़ों रुपए कमाते हैं।

सालों की मेहनत और निरंतरता के कारण आज के समय में दुनिया के सबसे ऊपरी पायदान पर खड़े होने वाले ब्लॉक कुछ इस प्रकार है।

Best blog

10 ब्लॉगिंग वेबसाइट जो दुनिया में सबसे ज्यादा पैसे कमाते हैं-

  1. HuffPost: ₹250 करोड़ हर महीने
  2. Engadget: ₹36 करोड़ हर महीने
  3. Tim Sykes: ₹33 करोड़ हर महीने
  4. PerezHilton: ₹30 करोड़ हर महीने
  5. Copyblogger: ₹25 करोड़ हर महीने
  6. Mashable: ₹22 करोड़ हर महीने
  7. Moz: ₹20 करोड़ हर महीने
  8. Smashing Magazine: ₹14 करोड़ हर महीने
  9. Envato Tuts: ₹7 करोड़ हर महीने
  10. Gizmodo: ₹3 करोड़ हर महीने

1. HuffPost

HuffPost के संस्थापक एरियाना हफिंगट (Arianna Huffington) है। इन्होंने HuffPost ब्लॉग की स्थापना 2005 में की। यह दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग हैं।

इस ब्लॉग पर शुरुआती कुछ समय में यह Current Affairs से संबंधित पोस्ट लिखा करते थे। धीरे-धीरे इन्होंने 2011 तक न्यूज़ वेबसाइट के रूप में परिवर्तित कर दिया।

जिसके फलस्वरूप यह ब्लॉग अब न्यूज़ वेबसाइट के रूप में कार्य करती है।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • हर दिन लगभग 800 से 1000 पोस्ट।
  • सही समय पर सही पोस्ट लिखना।
  • सोशल मीडिया पर शेयर करना इत्यादि।

2. Engadget

Engadget के संस्थापक Peter Rojas हैं। इन्होंने Engadget की स्थापना 2007 में की। Engadget स्मार्टफोन, गेम्स और रोबोटिक्स से लेकर सर्च इंजन और स्मार्ट गैजेट्स जैसे कई तरह के तकनीकी विषयों पर आर्टिकल लिखते हैं।

इन्होंन अपने ब्लॉग का अधिकांश उपयोग एफिलिएट मार्केटिंग से पैसे कमाने के लिए किया। जिसकी मदद से उन्हें अच्छे खासे मुनाफे होते थे। इसे दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग में दुसरा स्थान दिया गया है।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • नए-नए टेक्नोलॉजी से संबंधित रिव्यू पोस्ट करना।
  • किसी एक टॉपिक पर बने रहना।
  • सही समय पर पोस्ट लिखना इत्यादि।

3. Tim Sykes

Tim यह TimSykes के संस्थापक हैं। इन्होंने 2007 में TimSykes को स्थापित किया था।

वह मुख्य रूप से वित्त क्षेत्र (finance) पर ध्यान केंद्रित करते है और लोगों को शेयर मार्केट रणनीतियों, की-पैटर्न और घोटाले-मुक्त निवेश के लिए बुनियादी बातों को जानने के लिए सहायता करते है।

Tim अधिकतर बड़ी-बड़ी वित्तीय कंपनियों के स्पॉन्सर पोस्ट तथा प्रचार के माध्यम से पैसे कमाते हैं।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • उपयोगकर्ताओं के मन में उठ रहे सवालों का जवाब।
  • वित्तीय कंपनियों से सहयोग बनाए रखना।
  • अपने पसंदीदा विषय पर पोस्ट लिखना।
  • सही समय पर सही पोस्ट करना इत्यादि।

4. PerezHilton

PerezHilton ब्लॉग की बहुत खुबियां है। इनकी खूबियों में से एक यह है कि ब्लॉग की प्रसिद्धि बढ़ाने के लिए मशहूर हस्तियों का प्रभावी रूप से उपयोग करते है।

विशिष्ट अभिनेत्रियों के लिए आकर्षण शीर्षकों और रेड कार्पेट तस्वीरों के भारी उपयोग के माध्यम से प्रसिद्ध नामों और प्रसिद्ध चेहरों पर प्रकाश दिया जाता है।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • प्रसिद्ध अभिनेता और अभिनेत्रियों का उल्लेख करना।
  • प्रसिद्ध हस्तियों से संबंधित प्रश्नों का जवाब देना।

5. Copyblogger

Copy blogger की संस्थापक Brian Clark हैं। यह कुछ अलग ही तरीके से आर्टिकल लिखते थे। इनके आर्टिकल पढ़कर लोग प्रभावित होते थे। इनके लिखावट का तरीका अन्य लोगों की तुलना में बिल्कुल अलग था।

इनके ब्लॉग की मुख्य विशेषताओं में लेखन कौशल, सामग्री विवरण में नए विकास का विश्लेषण और पॉडकास्ट एपिसोड शामिल हैं।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • लेखन कौशल।
  • अलग-अलग विषयों को सरलता से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना।

6. Mashable

2005 में Pete Cashmore यह Mashable ब्लॉग के संस्थापक हैं। Mashable ने तकनीक, विज्ञान और सामाजिक भलाई सहित विषयों की एक विस्तृत विषयों पर लिखते है।

एक और दिलचस्प विशेषता – इस बार एक मुद्रीकरण के दृष्टिकोण से – Mashable Deals, ब्लॉग का एक भाग है जिसमें सौदे, समीक्षा, उत्पाद और अन्य व्यावसायिक रूप से केंद्रित सामग्री शामिल है।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • अधिक विषयों पर लिखना।
  • दिस्चल्प कहानियां रोचक तथ्यों इत्यादि।

7. Moz

Rand Fishkin ने Moz ब्लॉग की स्थापना लगभग 2010 में किया था। Moz एक SEO समुदाय और सेवा प्रदान करता है। जिसकी पेशकश में SEO सॉफ़्टवेयर, SEO friendly सर्विस देना और बड़े पैमाने पर डिजिटल प्रकाशन ऑपरेशन शामिल है।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • SEO friendly सॉफ्टवेयर और सर्विस प्रदान करते हैं।
  • ब्लॉगिंग से संबंधित अलग-अलग प्रकार के टिप्स और ट्रिक्स उपलब्ध कराया जाता है।
  • इसका अधिकतर उपयोग ब्लॉग से संबंधित लोग करते हैं।

8. Smashing Magazine

Sven Lennartz और Vitaly Friedman ने Smashing Magazine ब्लॉक की स्थापना की।

अगर आप Web Developer या सॉफ्टवेयर डेवलपर है तो इनकी वेबसाइट को एक ना एक बार अवश्य उपयोग किया होगा।

Smashing Magazine की सफलता का एक प्रमुख घटक इसकी सदस्यता की पेशकश है, जो पाठकों को प्रीमियम सुविधाओं के लिए प्रति माह $3 और $7 के बीच भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

सफलता के कारण:

9. Envato Tuts

Collis Ta’eed ने Envato Tuts की स्थापना किया। Envato Tuts+ ट्यूटोरियल, कोर्स, गाइड और ई-बुक्स की एक विशाल लाइब्रेरी है। जो ब्लॉग फॉर्मेट में डिलीवर की जाती है।

इसमें कोडिंग और वेब डिज़ाइन, व्यवसाय, फ़ोटोग्राफ़ी, संगीत और ग्राफिक डिज़ाइन सहित विषय शामिल हैं। कुछ Envato Tuts+ कंटेंट फ्री है, जबकि अन्य चीजों के लिए पैसे के आधार पर उपलब्ध हैं।

सफलता के कारण:

  • निरंतरता।
  • पूरी वेबसाइट एक लाइब्रेरी की तरह कार्य करती है।
  • यहां पर लगभग सभी जानकारी उपलब्ध है।
  • इस वेबसाइट पर लगभग सभी क्षेत्रों से संबंधित छात्र ज्ञान लेने के लिए आते हैं।

10. Gizmodo

हमारी सूची में दूसरा ब्लॉग, जिसे Peter Rojas द्वारा स्थापित किया गया था, Gizmodo एक डिज़ाइन, तकनीक, विज्ञान और विज्ञान-फाई ब्लॉग है, जिसमें ब्राजील, जापान और यूके सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों की सेवा करने वाले कई प्रकार हैं।

यह Huawei के नवीनतम स्मार्टफोन डिजाइन से लेकर मूल स्टार पर फैन थ्योरी तक, गीक संस्कृति का एक बड़ा लेखन प्रचारक है।

सफलता का कारण:

  • निरंतरता।
  • कुछ अलग और अनोखा कार्य करना।
  • अलग-अलग प्रकार की डिजाइन स्थापित करना जो बड़ी-बड़ी कंपनियां के उपयोगी है।

इस प्रकार दुनिया की सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाले ब्लॉग हैं। जो लगभग हर महीने करोड़ों रुपए कमाते हैं।

इन सभी ब्लॉग को बड़ा बनाने के लिए बहुत ही कठिन परिश्रम और निरंतरता के साथ काम करना पड़ता है। इसके साथ साथ इसमें धैर्य रखने की जरूरत होती है।

क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है। यह कम समय में नहीं प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

उपरोक्त बताए गए सभी ब्लॉक की सफलता का एकमात्र कारण निरंतरता है। इसकी मदद से आप जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। आज के समय में यह दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग हैं।

निरंतरता (consistent) के कारण आप जीवन में कहीं भी कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

अगर आप भी ब्लॉग बनाना चाहते हैं तो याद रहे उस में निरंतरता अवश्य होना चाहिए। ब्लॉग ही नहीं बल्कि कोई भी कार्य करने के लिए निरंतरता के साथ-साथ कार्य करने की दिशा भी सही होना चाहिए।

इस प्रकार आप अपने जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।

दुनिया का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला ब्लॉग से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल है तो कमेंट में अवश्य पूछें।