End to End encryption के लाभ और हानि क्या है ?

End to End Encryption ( E2EE ) ऐसा टेक्नोलॉजी है जिसका उपयोग संचार प्रणाली (मोबाइल, कंप्यूटर इत्यादि) में किया जाता है, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करने से कोई हैकर या अन्य अज्ञात व्यक्ति किन्ही दो लोगों के बीच की बातों को नहीं सुन सकता है।

हेलो दोस्तों, आज हम लोग बात करेंगे। End to End Encryption Technology क्या होता है? Whatsapp में End to End Encryption Technology क्यों उपयोग होता है? इनके बारे में सभी प्रकार का सवालों का जवाब आपको इस पोस्ट में मिल जाएगा कृपया इसे आप ध्यान से पढ़ें।

End to End Encryption क्या होता है?

जब हम लोग अपने मोबाइल से किसी से बात करते हैं तो कोई भी हैकर हमारी बातों को आसानी से हैक करके सुन सकता है और उसे रिकॉर्ड भी कर सकता है।

अगर हमारी बातें आम दिनचर्या पर होती हैं तो इन्हें कोई भी सुनें हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है।

लेकिन वहीं हमारी कुछ व्यक्तिगत बातें कोई सुनता है या रिकॉर्ड करता है और उसे अपने फायदे के लिए उपयोग भी करता है तो हमें काफी मुश्किलें होती है।

हम लोगों में से कुछ लोगों की बातें इतनी सीक्रेट और व्यक्तिगत होती है, जिसका उपयोग करके हैकर हमें ब्लैकमेल करने के लिए भी कर सकते हैं।

जानबूझकर या अनजाने में हम बहुत से ऐसे महत्वपूर्ण जानकारियां ऑनलाइन एक दूसरे को शेयर करते रहते हैं, जैसे पासवर्ड, OTP, फोटोग्राफ, हस्ताक्षर इत्यादि।

कोई भी हैकर इन जानकारियों को अपने फायदे के लिए उपयोग करके लोगों का भारी भरकम नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इंटरनेट के महासागर में हैकरों से बचने के लिए सिक्योरिटी का होना बहुत ही आवश्यक है।

इन सभी समस्याओं से उभरने के लिए बड़े-बड़े इंजीनियरों ने End to End Encryption नामक टेक्नोलॉजी का खोज किया।

हालांकि हर जगह इस टेक्नोलॉजी का उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है।

अब व्हाट्सएप भी इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है। जिसकी मदद से जब हम किसी से बातें करते हैं तो हमारी बातें या मैसेज या फिर वीडियो कॉल्स कोई भी हैकर ना ही सुन सकता है और ना ही देख सकता है।

इसलिए आप अपनी व्यक्तिगत बातों को व्हाट्सएप के माध्यम से जारी कर सकते हैं। इसमें आपको किसी भी प्रकार की जानकारी बिना आप की सहमति से लीक होने का डर नहीं रहता है।

End to End Encryption टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है?

End to End Encryption टेक्नोलॉजी से पहले जब हम कोई मैसेज किसी व्यक्ति को भेजते थे तो वह मैसेज सबसे पहले एक सर्वर (server) पर जाता था उसके बाद जिसे भेजते थे उसके मोबाइल में जाता था।

ज्यादातर हैकर सरवर पर घात लगाकर बैठे रहते हैं जब भी कोई जानकारी सरवर से होकर गुजरती है उसे अपने कंप्यूटर में पकड़ (store) लेते हैं।

सरवर (server) क्या होता है?

सरवर एक ऑनलाइन स्टोरेज की तरह काम करता है। हर कंपनी का अपना अलग-अलग सरवर होता है। जहां पर यह कंपनियां अपना डाटा स्टोर करती हैं। जैसे फेसबुक का अलग सरवर होता है, व्हाट्सएप का अलग सरवर होता है, गूगल का अलग सरवर होता है। ऐसे ही सभी कंपनियां अपना डाटा स्टोर करने के लिए सरवर का उपयोग करते हैं।

End to End Encryption टेक्नोलॉजी के बाद जब हम किसी को मैसेज भेजते हैं तो वह मैसेज सरवर के माध्यम से ही उस व्यक्ति के पास जाता है। लेकिन सरवर पर घात लगाकर बैठे हुए हैकर उस मैसेज को समझ नहीं पाते हैं। क्योंकि वह मैसेज (Encrypted) इंक्रिप्टेड अर्थात सिक्योरिटी कोड में बदल जाता है।

ऐसे सिक्योरिटी कोड को कोई भी बड़े से बड़ा हैकर इसे हैक नहीं कर सकता है।

अगर मैं किसी को फेसबुक लिखकर भेजता हूं, तो यह (Facebook) सर्वर पर जाकर सिक्योरिटी कोड (£&#%¢¥€π~*&) में बदल जाएगा।

जिससे कोई भी हैकर इसे समझ नहीं पाएगा।

Massage:- Facebook

Encrypted (Security) code:- £&#%¢¥€π~*&

इस तरह से End to End Encryption कार्य करता है।

अगर आप कुछ समझने में असमर्थ हैं तो आप कमेंट में अवश्य पूछ सकते हैं। आपको जरूर उत्तर मिलेगा।

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क्या Facebook Massenger भी End to End Encryption टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है?

फेसबुक मैसेंजर पूरी तरह से End to End Encryption टेक्नोलॉजी पर कार्य नहीं करता है। यह Half Encryption टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है।

  1. जब हम फेसबुक मैसेंजर द्वारा किसी को मैसेज भेजते हैं तो वह मैसेज सबसे पहले सिक्योरिटी कोड में बदल जाता है।
  2. वह सिक्योरिटी कोड फेसबुक के सर्वर पर स्टोर हो जाता है।
  3. फेसबुक उस सिक्योरिटी कोड को फिर से असली मैसेज में बदल देता है, इसके बाद जिसको हम मैसेज भेजते हैं उसे वही मैसेज भेज देता है।
  4. इस तरह से आपके द्वारा भेजा गया मैसेज, फेसबुक के अलावा कोई अन्य हैकर नहीं पढ़ सकता है।
  5. फल स्वरूप, आपके द्वारा भेजा गया मैसेज फेसबुक और आप जिसको भेज रहे हैं वह देख सकता है। इस प्रकार फेसबुक मैसेंजर पूरी तरह से इंक्रिप्टेड नहीं है।

WhatsApp End to End Encryption टेक्नोलॉजी पर कैसे कार्य करता है?

WhatsApp पूरी तरह से End to End Encryption टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है। इसे Full Encryption टेक्नोलॉजी भी कह सकते हैं।

  1. जब हम व्हाट्सएप द्वारा किसी को मैसेज भेजते हैं तो वह एक सिक्योरिटी कोर्ट में बदल जाता है। अब हम इतना तो जानते हैं।
  2. यह कोर्ट जब व्हाट्सएप के सरवर पर जाता है तो वहां भी सिक्योरिटी कोड में ही स्टोर होता है।
  3. हम जिसको मैसेज भेजते हैं उसके मोबाइल में यस सिक्योरिटी कोड फिर से मैसेज में बदल जाता है।
  4. इस तरह से हमारे द्वारा भेजा गया मैसेज हैकर के साथ-साथ व्हाट्सएप भी नहीं देख सकता है।
  5. फल स्वरूप, हम जिसको मैसेज भेजते हैं सिर्फ वही व्यक्ति हमारे द्वारा भेजा गया मैसेज पड़ सकता है।

End to End Encryption टेक्नोलॉजी के लाभ:-

  • End to End Encryption टेक्नोलॉजी को बड़े-बड़े सिक्योरिटी इंजीनियर तथा कंपनियां अपना रही है।
  • इस टेक्नोलॉजी के कारण हम अपनी व्यक्तिगत बातें व्यक्तिगत रख पाएंगे।
  • कोई भी हैकर हमारी कीमती जानकारी को चुरा नहीं सकता है।
  • कोई भी जासूस जो हमारे ऊपर 24/7 जासूसी करता है वह भी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएगा।
  • तेजी से बढ़ती हुई इंटरनेट की दुनिया में यह टेक्नोलॉजी बहुत ही कामयाब और किफायती साबित हुई है।

End to End Encryption टेक्नोलॉजी की हानि:-

  • इस टेक्नोलॉजी का उपयोग बड़े-बड़े अपराधी अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
  • हमारी गवर्नमेंट सिक्योरिटी कंपनिया इस टेक्नोलॉजी के कारण अपराधियों की जासूसी नहीं कर सकती है।
  • जिससे बड़े-बड़े अपराधी प्लानिंग करके किसी भी देश को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • यही कारण है कि अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इस टेक्नोलॉजी को अपनाने से इंकार कर रहे हैं।
  • क्योंकि इन देशों में बड़े बड़े अपराधियों को उनके ऊपर जासूसी करके ही पकड़ा जाता है।

निष्कर्ष (Coclusion):-

सभी End-to-End Encryption टेक्नोलॉजी उपयोगकर्ता के सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है।

बहुत सारे हैकर्स ग्रुप हमारी डाटा को बीच में से हैक करके चुरा लेते हैं। जिससे हमारी प्राइवेसी पर हमेशा खतरा बना रहता है।

इसलिए प्राइवेसी को नजर में रखते हुए End to End Encryption technology का उपयोग किया जाता है।

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