भारतीय झंडा का इतिहास: भारतीय झंडा किसने बनाया, Indian flag

हेलो दोस्तों, आज हम भारत के पिछले सौ सालों की अवधि में भारतीय झंडा कैसे बदला गया। इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

क्या आपके मन में भी ऐसा सवाल उठता है, कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज किसने बनाया? कब बनाया गया? और कैसे बनाया गया? और आपको भारतीय झंडा का इतिहास जानने में रुचि है तो आपको इन सभी सवालों का जवाब इस पोस्ट में मिल जाएगा।

भारतीय झंडा का इतिहास
भारतीय झंडा

यह तो हमें पता है कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग है। केसरिया, सफेद, हरा और एक चक्र भी है। लेकिन ऐसा क्यों है और इसके क्या उद्देश्य है।

इसके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे सबसे पहले हम भारतीय झंडा का इतिहास समझ लेते हैं।

भारतीय झंडा कैसे बनाया गया?

जो तिरंगा आज हम देखते हैं उसको इस रूप में आने के लिए 100 सालों का वक्त लगा था। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि इससे पहले भारत के ध्वज को 7 बार बदला गया है :

पहला भारतीय झंडा:‌‌ (ब्रिटेन द्वारा)

भारतीय झंडा का इतिहास

  1. सबसे पहला ध्वज 1857 (अट्ठारह सौ सत्तावन) में बनाया गया था. यह ध्वज अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। जब अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत की.
  2. उस समय अंग्रेजों ने भारत पर एकछत्र राज करने के लिए एक ध्वज निर्माण किया. यह इंग्लैंड के ध्वज से कुछ मिलता जुलता था. उस समय भारत का कोई अपना ध्वज नहीं था इसलिए यह ध्वज भारत के लोगों ने कुछ वर्षों तक अपनाया था।

पहला भारतीय झंडा: (भारतीय महापुरुषों द्वारा)

  1. कुछ समय पश्चात युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के शिष्य ने 1904 में प्रथम स्वदेशी ध्वज का निर्माण किया. अब स्वदेशी भारतीय झंडा का इतिहास यहां से शुरू होता है।
  2. स्वामी विवेकानंद द्वारा बनाए गए झंडे में लाल और पीले रंग का उपयोग किया गया था। जिसमें लाल रंग स्वतंत्रता और पीला रंग जीत का प्रतीक था। इस झंडे के बीच में वज्र का निशान था इस वज्र को बौद्ध धर्म से लिया गया था।
  3. इसके चारों तरफ 101 छोटी-छोटी ज्वलनशील दीपक का निशान बनाया गया था। इस झंडेे पर बंगाली में वंदे मातरम लिखााा गया था। पहले हमारे देश की राजधानी कोलकाता हुआ करता था।
  4. जो अब बदल कर दिल्ली कर दिया गया है। कोलकाता का मुख्य भाषा बंगाली है इसलिए इस झंडे पर बंगाली भाषा में वंदे मातरम लिखा गया था।
भारतीय झंडा का इतिहास
भारतीय झंडा

यह ध्वज सर्वप्रथम कोलकाता में स्थित पारसीबागान चौक में 7 अगस्त 1906 को फहराया गया था।

भारतीय झंडा का इतिहास

आगे चलकर कुछ समय पश्चात इस ध्वज को पूर्णतः बदलकर नया ध्वज बनाया गया. जिसमें तीन रंग थे सबसे ऊपर हरा मध्य में पीला और सबसे नीचे लाल रंग हुआ करता था।

हरे रंग में सफेद कलर के कमल के फूल हुआ करते थे मध्य में जो पीला रंग था उसमें वंदे मातरम लिखा हुआ था।

आखरी में सबसे नीचे लाल रंग में सफेद रंग का चांद और सूर्य को प्रदर्शित किया गया था. कुछ लोग इस झंडे को पहला झंडा मानते हैं।

दुसरा भारतीय झंडा:

दूसरा स्वदेशी ध्वज 1907 में मैडम कामा और उनके क्रांतिकारियों ने मिलकर फहराया था। मैडम कामा ऐसी स्त्री थी जो इंग्लैंड, अमेरिका और जर्मनी में स्वतंत्रता क्रांतिकारी को प्रोत्साहन दिया था। यह ध्वज कुछ पहले वाले ध्वज की तरह दिखता था।

भारतीय झंडा का इतिहासइस ध्वज की सबसे ऊपर केसरिया रंग था इसमें सात तारे थे जो सप्त ऋषि को दर्शाते थे। मध्य में पीला रंग था जिसमें वंदे मातरम लिखा गया था और सबसे नीचे वाले भाग में हरा रंग था।

इसमें एक ओर सूर्य और दूसरी ओर चंद्र का निशान था। इसे सबसे पहले वर्लीन में अंग्रेजों के विरुद्ध फहराया गया था।

तीसरा भारतीय झंडा:

10 वर्षों के पश्चात 1917 में एक बिल्कुल अलग झंडे का निर्माण किया गया। इस झंडे में सात तारे थे जो सप्त ऋषि को दर्शाते थे और एक चंद्र भी था।

इसमें 5 लाल पत्ती और 4 हरा पत्ती क्रमबद्ध तरीके से दर्शाया गया था। बाईं ओर यूनियन जैक (Union Jack) का निशान बनाया गया था।

भारतीय झंडा का इतिहास

चौथा भारतीय झंडा:

कुछ समय पश्चात 1921 में महात्मा गांधी ने स्वदेशी ध्वज बनाने का जिम्मा पिंगली वंकाया जो क्रांतिकारी थे (Pingli Venkaiya) उनको सौंप दिए।

भारतीय झंडा का इतिहास

महात्मा गांधी ने इस ध्वज को इस तरह बनाने को कहा की इसमें सभी धर्मों को एक समान दिखाया जाए।

पिंगली वेंकैया ने 5 सालों में 50 देशों के ध्वज का अध्ययन किया उस अध्ययन के आधार पर उन्होंने एक ध्वज बनाया।

जिसमें एक हरा पट्टी और एक लाल पट्टी था जो सिर्फ हिंदू और मुस्लिम धर्म को ही प्रदर्शित करता था। आगे चलकर महात्मा गांधी के आदेशानुसार इसमें सफेद रंग की पट्टी के साथ एक चरखा को भी सम्मिलित किया गया।

उसके साथ मध्य में एक चक्र भी जोड़ा गया। जो अब यह ध्वज सभी धर्मों को प्रदर्शित करता था।

पांचवां भारतीय झंडा:

फिर 10 साल के बाद 1931 को इस ध्वज को पुन:निर्मित किया गया. जिसमें केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद रंग मध्य में और हरा रंग सबसे नीचे दर्शाया गया।

भारतीय झंडा का इतिहास

झंडे के बीचो बीच चरखा बनाया गया था. जो कर्म निष्ठा को दर्शाता था.

छठवां भारतीय झंडा:

22 जुलाई 1947 को देश के सभी बड़े नेताओं की बैठक हुई इसमें झंडे को लेकर गहरा विचार किया गया। जिसमें चरखे को हटाकर उसके स्थान पर अशोक चक्र स्थापित कर दिया गया।

भारतीय झंडा का इतिहास

जो कर्म निष्ठा के साथ साथ उन्नति को भी दर्शाता है. इस तरह यह ध्वज जो आज हम देखते हैं उसको अनुमति मिली और इसे राष्ट्रीय ध्वज घोषित कर दिया गया।

भारतीय झंडे में तीन रंग और एक चक्र जो कुछ इस प्रकार है-

1. केसरिया

इसे कुछ लोग नारंगी अर्थात संतरा रंग (orange colour) भी कहते हैं. जो बलिदान का प्रतीक है और हमारी प्राचीन सभ्यता साधु संतों को दर्शाता है. प्राचीन समय में साधु संत केसरिया रंग के वस्त्र पहनते थे. स्वामी विवेकानंद इसके मुख्य उदाहरण है. जो कि तिरंगे में आज तक उस सभ्यता को बरकरार किया गया है.

2. सफेद:

सफेद रंग यह सुख शांति का प्रतीक होता है. सफेद रंग झंडे में इसलिए लगाया गया है की देश में सुख शांति बना रहे. यह सत्यवादी का भी प्रतीक है. जो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मैं झलकता है.

3. हरा:

हरा रंग हरियाली, खुशहाली और उन्नति का प्रतीक है. हम जानते हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है. जिसमें हरियाली का बहुत महत्व है. हमारे देश के किसानों से हमें भोजन और अन्य जरूरत सामान मिलता है जिससे देश के उन्नति होती है.

4. चक्र:

अशोक चक्र नीले रंग का होता है। यह हमारे जीवन चक्र में अशोक चक्र का बहुत ही योगदान है. जो हमें निरंतरता को दर्शाता है और कठिन परिश्रम करने की प्रेरणा देता है. यह न्याय को धार्मिकता से जोड़ता है. जो भारत में सभी धर्मों के लोगों के लिए एक है.

आपने भारतीय झंडा का इतिहास तो समझ ही गए होंगे अब इसके कुछ रोचक तथ्य के बारे में जानकारी लेते हैं जो बहुत कम लोगों को ही होगा.

भारतीय झंडा का इतिहास के कुछ रोचक तथ्य क्या है?

1. भारतीय झंडे का अनुपात 2:3 होना चाहिए. मतलब अगर लंबाई 3 इकाई हो तो चौड़ाई 2 इकाई होना चाहिए. इसमें अशोक चक्र होता है जिसमें कुल 24 तिल्लियां होती है।

2. आज के दौर में हम झंडा घर पर बना भी सकते हैं और फहरा भी सकते हैं यहां तक की उसे बनाकर बेच भी सकते हैं. लेकिन शुरुआती दौर में यह झंडा आम लोगों के लिए नहीं था.

भारतीय झंडा सामान्य व्यक्ति नहीं बना सकता था और ना ही फहरा सकता था यह कानूनी अपराध था.

3. भारतीय झंडा को सिर्फ कर्नाटक में स्थित एक विशाल कंपनी खाद्य ग्राम उद्योग संयुक्त संघ द्वारा ही बनाया जाता था.

4. इस झंडे को खादी फैब्रिक के कपड़े से ही बनाया जाता था. इसके लिए कोई भी अन्य कपड़े का उपयोग नहीं किया जाता था.

5. भारतीय उद्योगपति नवीन जिंदल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इस बात की अपील की. कि भारतीय ध्वज फहराना सभी भारतीयों का अधिकार होना चाहिए. जो इसकी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए फहराया जाए.

केंद्र सरकार ने इस बात को मंजूरी दे दी और इस प्रकार 2001 में ध्वजारोहण सभी भारतीयों के लिए शान बन गया. और हमारा राष्ट्रीय ध्वज भी हमारे देश की शान है.

भारतीय झंडा का इतिहास
भारतीय झंडा

अगर आपको यह पोस्ट पढ़ते समय कोई भी सवाल आपके मन में आया हो और उसका उत्तर आपको नहीं मिल पाया हो तो आप कमेंट में अवश्य पूछ ले आपको आपके सवाल का उत्तर अवश्य मिलेगा.

अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट में अवश्य पूछे। आपके सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश की जाएगी।

Scroll to Top
Scroll to Top

https://thesunnysides.com/wp-content/bonus-new-member/

https://www.fastagram.fr/wp-includes/pragmatic-play/

https://equipatex.com.br/wp-includes/slot88/

https://trendingfashionhub.com/wp-includes/slot-bet-100/

https://becfe.com/wp-includes/slot88/

https://teccord.com/wp-includes/slot777/

slot777 login

slot88 online

slot88

Situs Slot777

Slot Online

situs slot88

Slot Online Resmi

Slot777 Link Alternatif

Slot Bet 100 Rupiah

Slot Gacor Hari ini

slot777 login

situs judi slot88

SLOT777

slot resmi

slot bet kecil

slot bet 100

rtp slot

Slot777 Link Alternatif

Slot Online Resmi

Slot Bet 100 Rupiah

Slot Gacor Hari ini

Slot Bet 500

Situs Slot88