राकेश टिकैत कौन है, राकेश टिकैत किसानों के प्रमुख नेता कैसे बने? वर्तमान समय में राकेश टिकैत किसान के प्रमुख नेता बनकर किसान बिल के विरोध कर रहे हैं। किसान बिल केंद्र द्वारा पारित किया गया एक कानून है। जिसका विरोध किसानों द्वारा किया जा रहा है।
राकेश टिकैत पश्चिमी उत्तर प्रदेश ( गाजीपुर ) के किसानों के प्रमुख नेता के रूप में धरना देते है। चलिए हम इसके बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते है।
हेलो दोस्तों, आज हम लोग जानेंगे कि राकेश टिकैत कौन है? राकेश टिकैत किसानों के आंदोलन का समर्थन क्यों कर रहें हैं। राकेश टिकैत का बैकग्राउंड (भूतकाल) क्या है?
राकेश टिकैत किसानों के आंदोलन का प्रमुख नेता कैसे बने? राकेश टिकैत का आय स्रोत क्या है? ऐसे ही और भी अनेकों सवाल जो जमीनी तौर पर राकेश टिकैत से जुड़े हुए हैं, इन सभी सवालों का जवाब आज आपको मिल जाएगा।
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राकेश टिकैत कौन है?
राकेश टिकैत का जन्म 4 जून 1969 को मुजफ्फरनगर में हुआ था। इनके पिता का नाम महेंद्र सिंह टिकैत है। इनके शिक्षा मेरठ यूनिवर्सिटी से पूरी हुई है। इन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से M.A. (Master in Art) की पढ़ाई किया है।
महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नेता थे। इनके स्वर्गवास के बाद राकेश टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन की कमान अपने हाथों में ले लिया।
यह किसानों की प्रवक्ता बनकर उभरे हैं। इस प्रकार राकेश टिकैत किसानों के प्रमुख नेता बनने की राह पर चल पड़े।
शुरुआती दौर में ये दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल के रूप में नौकरी करते थे। 1993-1994 में किसान आंदोलन के दौरान इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और इस प्रकार भारतीय किसान यूनियन संगठन का नेतृत्व करने लगे।
राकेश टिकट की शादी सन 1985 में हुई थी। उनकी पत्नी का नाम सुनीता देवी है। इनके एक पुत्र चरण सिंह और दो पुत्री सीमा तथा ज्योति है। राकेश टिकट के सभी बच्चों की शादी हो चुकी है।
राकेश टिकैत किसानों के आंदोलन का प्रमुख नेता कैसे बने?
राकेश टिकैत किसानों के प्रमुख नेता कैसे बने? राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन संगठन का नेतृत्व करते थे।
परंपरा के अनुसार महेंद्र सिंह टिकैत के मृत्यु के बाद भारतीय किसान यूनियन संगठन की कमान राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत को दिया गया। लेकिन नरेश टिकैत इस संगठन की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते थे।
भारतीय किसान यूनियन संगठन कि ज्यादातर कार्य राकेश टिकैत ही करते थे। जैसे इस संगठन के प्रति कोई भी फैसले लेना, इस संगठन को लोगों के सामने प्रस्तुत करना, इत्यादि।
जिसे देखते हुए नरेश टिकैत ने अपनी का मान राकेश टिकैत के हाथों में सौंप दिया। इस प्रकार राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन संगठन के अधिकारिक नेता बन गए। और अब किसान आंदोलन में धरना दे रहे हैं।
किसान आंदोलन में धरना देते हुए, किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं। किसानों से संबंधित सरकार के साथ बातचीत या वार्तालाप राकेश टिकैत द्वारा ही किया जाता है। इस प्रकार राकेश टिकैत किसानों के प्रमुख नेता बन गए।
राकेश टिकैत का राजनीतिक सफर।
किसान संगठन का नेतृत्व करने के कारण इन्हें किसानों का साथ मिलने लगा था। जिसका लाभ उठाकर राकेश टिकैत ने राजनीति की रेस में भी दौड़ लगाने की कोशिश की।
पहली बार इन्होंने 2007 में मुजफ्फरपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन बहुमत न होने के कारण इनके हाथ हार लगा।
इसके बाद 2014 में राष्ट्रीय लोक सभा दल का हाथ थाम लिया और इस दल की ओर से अमरोहा जनपद से विधानसभा का चुनाव लड़ा। इसमें भी हार का सामना करना पड़ा।
राकेश टिकैत का ज्यादा प्रसिद्धि ना होने के कारण इनको दोनों चुनाव में हार से ही संतुष्ट रहना पड़ा।
अपनी प्रसिद्धि को बढ़ाने के लिए इन्होंने किसानों के प्रति सहानुभूति दिखाने लगे। और किसानों के लिए जगह-जगह धरना देने लगे।
किसानों के समर्थन में राकेश टिकैत का धरना प्रदर्शन।
भारतीय किसान यूनियन संगठन का प्रमुख अध्यक्ष होने के नाते राकेश टिकैत में देश में बहुत से धरने दिए हैं।
दिल्ली में लोकसभा के बाहर गन्ना उत्पादन के महत्व को बढ़ाने के लिए इन्होंने गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
इनकी मांगे अस्वीकार होने के कारण इन्होंने पूरी गन्ने की खेत में आग लगा दी थी। जिसके कारण इन्हें तिहाड़ जेल में भेज दिया गया।
राकेश टिकैत ने राजस्थान में बाजरे का मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया। परंतु राजस्थान सरकार द्वारा अमान्य होने के की वजह से इन्हें कुछ दिनों के लिए जेल जाना पड़ा था।
इस तरह से छोटे बड़े प्रदर्शन करते हुए राकेश टिकैत लगभग 40 बार जेल जा चुके हैं। जिससे इन्हें राजनीति की तरफ अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है।
अब आपने राकेश टिकैत के बारे में लगभग सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर लिया है जैसे कि राकेश टिकैत किसानों के प्रमुख नेता कैसे बने? राकेश टिकैत की जीवनी इत्यादि।
हाल ही में चल रहे किसान बिल पर राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक सरकार किसान बिल को वापस नहीं लेती। तब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा। लेकिन सरकार भी इस बिल को वापस लेना नहीं चाहती है।
अब देश की जनता यही अनुमान लगाए बैठी है कि यह किसान आंदोलन कब समाप्त होगा। इसके बारे में आपको क्या लगता है कमेंट में अवश्य बताएं।
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